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केस नंबर 219.The horror tale suspense scary stories.

January 26, 2019

"पानी क़ी बूंदे उसके चेहरे पर ऐसे चमक रही थी जैसे किसी ने शीशे पर चाँदी बिखेर दी हो।"


                            केस नंबर 219

                        ( horror story)

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कंपकपाती सर्दी और उस पर बारिश हो जाये तो बस,बस ही हो जाती हैं।मैंने ओवर कोट के नीचे गर्म कपड़े ठूस ठूस कर पहने हुये थे या यूँ कहें कि पत्नी ने पहना दिये थे।शादी के कुछ सालो बाद पत्नी, बच्चों और पति को एक ही तरह से डील करने लगती हैं।ऐसा मेरे साथ भी हो रहा था।मै अक्सर बिना हील हुज्जत के पत्नी की बाते मान लेता हूँ।

मै पिछले 10 मीनट से उस पहाड़ी रेलवे स्टेशन पर चहलकदमी करते हुये उस आदमी का इंतजार कर रहा था जो मुझे लेने आने वाला था। मै यहाँ ऑफिस के काम से आया था।और इस सर्दी मे मुझे उसका इंतजार करना बिल्कुल अच्छा नहीं लग रहा था।फोन का नेटवर्क गायब था।

पहाड़ी स्टेशनों पर अक़्सर भीड़ ना के बराबर ही होती हैं।एक ट्रेन मुझे छोड़ कर जा चुकि थी दूसरी सुबह 5 बजे जाने वाली थी।स्टेशन पर अजीब सा सन्नाटा पसरा हुआ था।ये एक पहाड़ी रेलवे स्टेशन था।इक्का-दुक्का लोग इधर उधर आ जा रहे थे।

मुझे चाय की तलब महसूस होने लगी।मै स्टेशन पर थोड़ा आगे बड़ा कोने मे कुछ लोग आग ताप रहे थे।मेरा जी चाहा की थोड़ी देर आग ताप लूँ मगर चाय की तलब मुझे आगे टी-स्टॉल तक ले गयी।मैने चाय का ऑर्डर दिया और फिर से मोबाइल मे नेटवर्क ट्राई करने लगा।


गर्म गर्म चाय अंदर गई तो कुछ राहत मिली।मै सोचने लगा वो क्यों नहीं आया ?इतनी सर्दी मे अगर होटल ढूँढना पड़ा तो कितनी मुसीबत होगी।मै होटल ढूढ़ने के मुड मे नहीं था।चाय पी कर मै स्टेशन के बाहर आ कर खड़ा हो गया।बर्फ पड़ने लगी थी।मै कुछ सोच ही रहा था कि किसी के पुकारने की आवाज आई।एक नीले रंग की कार ठीक मेरे सामने आ कर रुकी।कोई मुझे पुकार रहा था। वकील साहब....वकील साहब..

मै कार के पास आ गया।कार के अंदर एक युवा महिला बैठी हुईं थी।उसने जींस और ऊनी टॉप पहना हुआ था।सिर पर केप पहन रखी थी गले मे मफ़लर।वो गाड़ी से बाहर आ गई।मुझे लग रहा था क़ि इस महिला को कही देखा हैं लेकिन कहाँ ?मै कुछ शर्मिंदा सा उसकी तरफ देखने लगा और वो मुस्कराते हुये मुझे मौका देने लगी।हम दोनों के बीच कुछ पल ऐसे ही बीत गए।

मेरी तरफ से कोई जवाब ना पा कर वो थोड़ा और पास आ गई बाहों को एक दूसरे मे बाँध कर मुस्कराते हुये अपना परिचय देने लगी।और सुन कर मेरा मुँह खुला का खुला रह गया।मेरे दिमाग मे करंट दौड़ गया।" केस नंबर 219 ,मिसेज सक्सेना....ओह माई गॉड..." मेरा दिमाग देखे सुने को मानने से इंकार कर रहा था।

मिसेज सक्सेना तो अपनी उम्र से भी 10 साल अधिक दिखने वाली ,एक निराश सी दुखी महिला थी।उनका एक केस मेरे पास कई साल चला ।जब भी पेशी पर वो आती अस्त व्यस्त हालत मे ही होती ।उनकी बेचैनी,पीड़ा,दुःख और निराशा उनके कहे बिना ही चेहरे से बयान होती।इतने वर्षो तक उनके सम्पर्क मे रहने के बावजूद मै उन्हें न पहचानु ऐसा कैसे हो सकता हैं ? मेरी अजीब सी हालत हो चली थी।जिसे देख कर वो जोर से हँस पड़ी।मिसेज सक्सेना और हँसी ? उनका तो हँसी से दूर का भी कोई वास्ता नहीं था।एक बार उन्हें रिलेक्स करने की कोशिश की थी तो वो देर तक रोती ही रही थी उस दिन मैने कानो को हाथ लगा लिया था।

"आप..यहाँ कैसे ?..कितनी बदल गई हैं आप"...मै मुश्किल से इतना ही कह पाया। जवाब मे फिर दिलकश हँसी..।

"बस ,बदलना ही था एक जिद्द थी खुद से..आइये मेरे साथ चलिये ,आपको अपना घर दिखाती हूँ "उन्होंने खनकती हुई आवाज मे साधिकार कहा मुझे ऐसे लगा जेसे कानों के पास सुरीली घंटियाँ बज रही हो।हल्का सा नशा मुझ पर तारी होने लगा था।बर्फ के कण हम दोनों पर जमने लगे थे।

उन्होंने चमकीली आँखो से मुस्कराते हुये गाड़ी का दरवाजा खोल दिया और मै किसी जादू मे बंधा गाड़ी के अंदर बैठ गया 

मिसेज सक्सेना को अपने घर का बढ़ा चाव था।हमेशा कहती थी" वकील साहब एक घर बन जाये तो सरे दुख दूर हो जायेंगे, लोग साल भर मे ही घर ख़ाली करवा लेते हैं।बार बार इधर उधर भटकना परता हैं।" मै सोच रहा था मकान के साथ गाड़ी भी ले ली।बीते वर्षों मे काफी तरक्की कर ली हैं।वो काफी सधे हाथो से गाड़ी ड्राइव कर रही थी।

गाड़ी एक शानदार कोठी के आगे रुकी तो मेरा धयान टूटा।मौसम बहुत ठंडा था। हम अंदर आ गए।मुझे सोफे पर बिठा कर वो जल्दी से गरमा गर्म चाय बना लाई।चाय पीते पीते वो बीते सालो की बाते बताने लगी।कुछ मेरी समझ मे आया कुछ नहीं।

चाय पीने के बाद वो घर दिखाने लगी ।काफी बढ़ा और खूबसूरत घर था।मै सब कुछ ऐसे देख सुन रहा था मानो किसी नशे मै गुम हूँ।मकान बनना कोई बड़ी बात नहीं थी।वो बता रही थी बेटा इंजीनियर बन गया हैं।मेरे लिये ताज्जुब का विषय था मिसेज सक्सेना की पर्सनालिटी, जो इतनी बदल गई थी क़ि मुझे हजम नहीं हो पा रही थी।


घर के कोने पर एक गिटार रखा हुआ था।मैने यूँ ही पूछ लिया ये कौन बजाता हैं? बस एक नई गाँठ मेरे सामने खुलने लगी।गिटार की धुन माहोल को रोमानी बनाने लगी।क्या इनसनो का भी रिसाइकल होता हैं ? मै एक अलग  ही दुनियां मे था।सालो बाद मै भी एक रूटीन लाइफ से बाहर आ रहा था।

"आप इतना कुछ कर लेती हैं,मुझे पता नहीं था।" मेरे मुँह से निकला। वो मुस्कराती हुई खाने की तयारी मे लग गई।कुछ ही देर मे टेबल पर खाना लगा हुआ था। इतना स्वादिष्ट खाना ?सच मे कोई मशीन हैं, जिसमें मिसेज सक्सेना ने खुद को रिसाइकल किया हैं।मै मन ही मन सोच रहा था " काश वक़्त यही रुक जाये।

खाना खाने के बाद मै फ़ायर् प्लेस के पास आ कर बैठ गया।मैने अभी तक फायर प्लेस फिल्मो मे ही देखा था।बेहद खूबसूरत घर था वो और एक दम साफ सुथरा।जैसे कोई फिल्म का सेट हो जितनी चीजो की जरुरत हो उतनी ही रखी हुई थी।
मिसेज सक्सेना कॉफी ले कर पास बैठ गई।आग की तपिश उनके चेहरे पर पड़ कर उसे दहका रही थी और मुझे बहका..
सालो बाद मेरे अंदर ये मीठा अहसास जग था।जो भला सा लगा। घड़ी की सूइयां टिक टिक करती हुई आगे बड़ रही थी मेरा जी चाहा उन्हें रोक दूँ।

उन्होंने आग के पास ही कालीन पर गद्दा बिछा दिया और कम्बल ले कर बैठ गई।इशारे से मुझे पास मे बैठने को कहा।फिर एक नई गाँठ खुल गई।अँगारों से चिंगारियां निकलने लगी थी।ताप ज्यादा बड़ गया था।एक महक सी उठने लगी थी।मेरी नज़र गुस्ताख़ हो कर वही अटक गई थी।वो मुस्करा दी।
"क्या देख रहे हैं? बस खुद को हवा दे रही हूँ.. सालों तक डब्बे मे बंद हुये हुये सड़ने लगी थी..."
वो कहती जा रही थी मै सुनता जा रहा था।आज उसके बोलने मे भी संगीत था।उफ़ बला की खूबसूरती थी उस आलम मे। जाने कब मेरी आँखे बंद होने लगी ।बाहर बर्फ अब भी गिर रही थी।

सुबह नींद खुली तो वो मुस्कराते हुये सामने खड़ी थी।आधे गीले आधे सूखे बाल कंधे पर बिखरे हुए थे।सफ़ेद शफ्फाक चेहरे पर पानी की बुँदे ऐसे लग रही थी जैसे शीशे पर चाँदी बिखर गई हो।मै हकीकत मे भी सपने मे था।
"उठिये वकील साहब ..घुटने तक बर्फ पड़ी है.. जो जरुरी ना हो तो मत जाइये.."
मन तो मेरा भी नही था लेकिन जरुरी काम था और ना जाता तो सारा दिन काम दिमाग मे ही फसा रहता सो मै मन मार कर उठ गया।
नाश्ता कर के मै तैयार हो गया। उसने बताया गाड़ी नहीं जा पायेगी बर्फ से रास्ते चोक है लेकिन गली के बाहर रिक्शा मिल जायेगा। वो दरवाजे तक छोड़ने आई।नारंगी साड़ी पर घुटनों तक लंबा सफेद स्वेटर पहने थी।
" जो आप शाम को लौट कर यहाँ आयेंगे तो आपको एक सरप्राइज दूँगी.." उसके चेहरे पर रहस्मयी मुस्कान थी।
मै उसके बुलाने से पहले ही तैयार था आने के लिये।

मिटिंग मे मेरा मन नही लगा। मै जान ने को उत्सुक था क़ि आखिर सरप्राइज क्या है।अब तक जो हो रहा था ।मिसेज सक्सेना अपनी उम्र को मात दे रही थी साथ ही अपनी आदतों और व्यवहार को भी। मैने जल्दी जल्दी काम निबटाया और उसी दरवाजे पर पहुँच गया।इस उम्मीद से क़ी वो जादुई चेहरा मुझे फिर से दिखाई देगा।

लेकिन... उम्मीद से परे दरवाजा किसी और ने खोला।वो मिसेज सक्सेना का बेटा था।उसने मुझे पहचान लिया और आदर पूर्वक अंदर ले गया।मै निराश हो गया।उस खूबसूरत सपने के बीच मे किसी तीसरे की एंट्री मुझे पसंद नहीं आई।लेकिन प्रतक्ष में हम दोनों बाते करने लगे।

टिक टिक कर के कुछ मिनट निकल गए।मुझसे रहा नहीं गया तो मैने पूछ लिया।
" मिसेज सक्सेना कही नज़र नहीं आ रही।" मेरी आवाज में आतुरता थी।
" माँ को गुजरे हुये दो साल हो गए,लेकिन लगता है आज भी वो यही हैं " उसने गहन उदासी से कहा।और मुझे लगा पास ही कही भयानक बम विस्फोट हुआ।मेरा मुँह खुला का खुला रह गया।दिल मे इतनी तकलीफ मैने आज तक महसूस नहीं की थी।

उनके लड़के ने सामने लगी तस्वीर की तरफ इशारा किया जिस पर हार चढ़ा हुआ था।हम आधी रात तक वहीँ बेठे थे तब वो तस्वीर वहाँ नहीं थी।मेरे दिल ने कहा दोनों माँ बेटा मिल कर मजाक कर रहे हैं।

अनमना सा इंतजार करते हुये सारी रात बीत गई।मै फायर प्लेस के पास बैठा रहा।
क्या तुम सच कह रहे हो? कल तुम्हारी माँ यहीं थी।" मैने कहना चाह लेकिन जबान तालू से चिपक गई।शायद वो नहीं चाहती थी क़ि उस अनोखे सपने का जिक्र मे किसी से करू।

उनका बेटा मुझे स्टेशन छोड़ गया।मै बहुत उदास था मेरी नज़र खिड़की से बाहर गई।वो खड़ी मुस्करा रही थी और कुछ पल मे धुंद मे समां गई।गाड़ी चल पड़ी थी।स्टेशन पीछे छुट रहा था।बर्फ अब भी गिर रही थी और एक पर्त मेरे दिल पर जमती जा रही थी।
काला बाग़ कहानी पढ़ने के लिये क्लिक करें click here..
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केस नंबर 219.The horror tale stories. suspense, scary hindi animated sto...

January 20, 2019


The horror tale suspense scary stories.
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काला बाग़.kala Baag.The horror tale suspense scary story.Kala Baag काला बाग़.

January 13, 2019

                     काला बाग़

                  (Horror story)

The horror tale suspense scary story.Kala Baag काला बाग़. काले बाग़ मे आखिर कया था?

https://Thehorrortalestories.blogspot.com
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ट्रेन देहरादून के स्टेशन पर पहुँच चुकी थी। यात्रियों ने बाहर निकलना शुरू कर दिया था।छोटा सा पहाड़ी स्टेशन है।मेट्रो सिटी जैसी भीड़ भाड़ नहीं है यहाँ।

उस भूरे बालो वाली पतली दुबली लड़की ने अपना एक इकलौता बैग उठाया और डब्बे से बाहर आ गई।इस पहाड़ी स्टेशन पर पाँव रखते ही उसे एक अजीब सा रोमांच होता है ।
इस भूरे बालों वाली लड़की का नाम दीया हैं।जब से दीदी की शादी यहाँ हुई हैं इसे यहाँ आने का बहाना चाहिए।क्रिसमस की छुटियों मै कॉलेज बंद है।दीदी के बेटे की पहली लोहड़ी हैं।वो ये त्योहार मना कर ही जाएगी।

आज 31 दिसम्बर हैं।गजब की ठण्ड हैं।छोटे से स्टेशन पर यात्री जल्दी ही छट जाते हैं।स्टेशन फिर पहले की तरह शांत हो जाता हैं।वो इधर उधर देखती है।ऑटो वाले पास आ कर पूछ रहे हैं कहाँ जाना है? वो मना कर देती हैं दीदी का घर ज्यादा दूर नहीं है।वैसे कोई लेने आ ही जाता है मगर आज कोई नही आया था।

वो बैग को कंधे पर दुरुस्त करती है और सड़क पर आगे बढ़ती है।कोहरा बढ़ने लगा था। टाइम ज्यादा नहीं हुआ था ।लेकिन पहाड़ों की शामे, रातो जैसी ही होती है।ये सड़क मेन सड़क से अलग है इस लिए ज्यादा आवाजाही नहीं थी।नाम मात्र के वाहन आ जा रहे थे और नाम मात्र के लोग जो कड़कती ठंड के कारण अपने आप मे ही गठरी बने हुये चल रहे थे।

पहाड़ो के ऊँचे नीचे छोटे छोटे रास्ते उसे पसंद है।और पहाड़ो की शामे उसे एक अलग ही दुनिया मे ले जाती है। सड़क के किनारे मुगफली की ठेली लगी है।पास से गुजरते हुये उसे अंगीठी का सेक बड़ा अच्छा लगता है।वो मस्ती मे आगे बढ़ती जा रही थी कि उसे अपने पीछे कदमों की आहट महसूस हुई।दीया ने पीछे मुड़ कर देखा कोई नहीं था। मूँगफली वाला तो काफी पीछे छुट चुका था।वो फिर आगे बढ़ने लगी।

जैसे जैसे वो आगे बढ़ती जा रही थी सड़क सुनसान होती जा रही थी।बस इक्का दुक्का वाहन जो क़भी क़भी सड़क के सन्नाटे को भंग कर जाते थे।बस अब दीदी का घर ज्यादा दूर नहीं था।

उल्टे हाथ की तरफ पुराने गेस्टहाउस की लंबी सी दीवार थी।जिसके ख़त्म होते ही बागो वाला मोड़ शुरू हो जाना था।वो दोनों हाथो को बगल मै दबाये आगे बड़े जा रही थी।वो एक बहुत पुराने नाले के पुल के ऊपर से गुजर रही थी।नाला सालो से सुखा था बस बारिशों मै कभी कभार बहने लगता था।दूसरी तरफ काफी दूर तक घना बाग़ था।विशालकाय पेड़ों की लम्बी लम्बी कतारे जो सर्दीली शाम मै भयानक लग रही थी।वो डरते हुये आगे बड़ रही थी।और मन मै सोच रही थी काश किसी को बुला लिया होता।रोमांच और डर आपस मै गुड़ मुड़ हो गए थे।

कोहरा बढ़ने लगा था।बग़ीचे से आती हुई पहाड़ी टिड्डियों की आवाज माहौल को अजीब सी सनसनाहट से भर रही थी।उसने तेज तेज चलना शुरू कर दिया।बगीचे की तरफ अँधेरा था ।दुसरी तरफ गेस्टहाउस की दीवार से छन् कर आ रही रौशनी नाकाफी थी।आगे जा कर गेस्टहाउस की दीवार भी ख़त्म हो गई अब दूर तक खुला ग्राउंड था।सन सन करती हवा उसके चेहरे से टकराने लगी।

                     

वो दुआ कर रही थी कोई आता जाता दिखे।शायद उसकी सुन ली गई।कोई धुंधली सी छाया उसे नजर आई।कोई था जो काफी फासले पर आगे आगे चल रहा था।उसमें हिम्मत आ गई चाल को उसने कुछ और तेज़ कर दिया।ताकि उस आदिम छवि के साथ चल सके।लेकिन चाल तेज़ करने के बावजूद वो उस तक नहीं पहुँच पा रही थी।अब उसे समय का भान होने लगा।वो काफी देर से चल रही थी रास्ता ख़त्म क्यों नहीं हो रहा।
अब दिमाग ने कहा वो फंस गई है।वो चलने के बजाये भागने लगी।"सुनो.. सुनो..." उसने पुकार लगाई।मगर कोई नहीं मुड़ा।लेकिन वो छाया के करीब पहुँचने लगी थी। कोई तो है।वो नाहक ही परेशान हो रही है।उसके दिमाग़ ने कहा।अब आगे चलती हुई औरत नज़र आ रही थी।
"सुनो आंटी.. आंटी " उसने फिर आवाज लगाई।लेकिन वो औरत नही घुमी ।बस अब वो चार पाँच कदम की दूरी पर थी।वो उसे पकड़ कर रोकने वाली थी।क़ि अचानक ..अब वहाँ कोई औरत नहीं थी।अचानक से वो कहाँ गायब हो गई। दर से उसके कदम लड़खराने लगे। तभी धुंध मै से एक भयानक साया निकला और हवा मै उसके आगे झुल गया।वो जोर से चीख़ी और हवा से तेज़ अंधा धुंध भागने लगी।

वो भागती जा रही थी।अंधा धुंध बस जैसे आँखे पाँव मै उग आई हो क्योंकि दिमाग तो सुन्न होने की कगार पर था। पैर कांप रहे थे।मगर दीदी के घर तक वो पहुँच चुकी थी।

होश आया तो दीदी और जीजा जी पास मै खड़े थे।दीदी परेशान थी। उसने दीदी को सब बताया ।उसे अपना जिस्म अब भी ठंडा महसूस हो रहा था।
"काले बागो के पास से नहीं आना था वहाँ तो.."जीजा जी ने चुप करा दिया दीदी को।

दीदी के घर उसकी तीसरी रात थी।दो रात से दीदी उसके पास ही थी।और काफी हद तक वो ठीक थी।सो दीदी अपने रूम मे चली गई।

रात का दूसरा पहर था।उसकी नींद खुल गई।वो बाथरूम जाने के लिये उठी।लॉबी तक पहुँची तो नज़र ड्रॉइंग रूम मे गई।एक भयानक साया इधर से उधर घूम रहा था।वो सुन्न हो कर वहीं गिर गई।

उसके बाद वहां रहना पॉसिबल नहीं था।माँ ने तुरन्त घर बुलवा लिया था। लेकिन उस औरत के साये ने पीछा नहीं छोड़ा था।वो साया उसे कही भी,किसी मै भी नज़र आ जाता था।उसका जिस्म सूखता जा रहा था।किसी को कुछ समझ नहीं आ रहा था।


पिता जी ने डॉक्टर को दिखाया।माँ ने पंडितों को दिखाया।जो जहाँ कहता वहीं ले जाते।उसके चारो तरफ डर की दीवार खड़ी होती जा रही थी।काला बाग़ बस यही घंटे की तरह बजता रहता था।दीदी ने उसे बहुत टालने की कोशिश की थी मगर माँ को बता दिया था।
काले बाग़ मै एक औरत रहा करती थी।जाने कहाँ से आई थी।माली की बनाई झोंपड़ी मै रहती थी।लोगों को लगता एक अकेली औरत इतने घने बाग़ में कैसे रहती हैं।कुछ लोग तरस खा कर उसके लिये अनाज भिजवाने लगे।कुछ उसे मालन बोलते कुछ काले बागो की मालकिन।
और एक रात काले बाग़ मै आग लग गई।झोपड़ी जल गई।लेकिन मालन कही नहीं गई।लोग कहते है क़ि उसकी आत्मा आज भी काले बागो मै रहती हैं।

फिर एक दिन बहुत कोशिशो के बाद किसी ने एक ताबीज ला कर उसके गले मै डाल दिया।फिर धीरे  धीरे सब सामान्य होने लगा। उसने कॉलेज जाना शुरू किया।ये सब आसान नही था।डर मन मै बैठ जाये तो जल्दी से नहीं निकलता। लेकिन वक्त के साथ सब बेहतर होता जा रहा था।

उसने अपना कॉलेज कंप्लीट किया।  वक़्त के साथ सब सामान्य होने लगा था। तीन साल गुजर चुके थे।अब पिता जी उसके विवाह के बारे मै सोचने लगे थे। और उनकी सोच का नतीजा ये था कि उसके लिये एक अच्छा वर मिल गया।

वो खुश थी। तै समय पर उसका विवाह हो गया।वो शादी कर के अपने घर चली गई।
आज दस साल हो गए।वो अपने घर मै सुखी है।वो रसोई घर मै खाना बना रही हैं।छत पर पड़ोसन से बात कर रही है और कमरे मै पति के साथ.....एक साथ..।



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Horror story Dayan.the horror tale.suspense story.

January 05, 2019

The horror tale.                

                      Dayan

                     ( horror story) 


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Internet surffing horror story. scary stories in hindi.

January 02, 2019

                      Internet surffing.

              ( Horror story in hindi)

ये कहानी एक सच्ची घटना पर आधरित है। हमने किसी से सुनी थी।कुछ घटनाएं जिंदगी भर के लिए कुछ अनोखी सिरहन भरी याद छोड़ जाती हैं।ये घटना उनही घटनाओं मै से एक हैं।
जिम पढाई और जॉब क़ी वजहा से दुसरे शहर मै रह रहा था।अपने बड़े से हवेली नुमा घर को छोड़ कर छोटे से दो कमरो के फलैट मे सिमट कर रह गया था।मजबूरी बहुत कुछ करवाती हैं।आज कल नोकरी मिलना पहले की तरह आसान नहीं रह गया हैं।

जिम प्राइवेट पढाई ओर पार्ट टाइम जॉब कर रहा है।उसकी कॉलेज क्लासेज़ मोर्निग मै होती हैँ।दोपहर मै सिर्फ दो घंटे वो फ्री रहता हैं शाम 4 से 12 बजे तक कॉल सेंटर मै जॉब करता है।उसके साथ एक रूम मेट भी है जो जॉब करता हैं।टाइम बस ठीक ठीक ही कट रहा हैं।
आज सुबह से ही मौसम खराब था।जिम जब रात को कॉल सेंटर से लौट रहा था तो बादलों क़ी गढ़ गढ़ाहट  के साथ बिजली चमकने लगी।और कुछ ही देर मै मुसलाधार बारिश होने लगी।घर पहुंचते पहुँचते जिम पूरा भीग चुका था।
कपड़े बदल कर उसने अपने लिए कॉफी बनाई और कॉफी को साइड टेबल पर रख कर बिस्तर मै घुस गया।सोने का वक्त था मगर उसकी आँखों से नींद कोसों दूर थी।
जिम फोन निकाल कर कुछ नई चीजें ढूंढने लगा।
जिम को इंटरनेट सरफ्फिंग का शोंक हैं या यूँ कहें क़ि इंटरनेट क़ी लत हैं।वो अपना खाली वक्त इंटरनेट सरफ्फिंग मै ही बीतता था।उसे कुछ नया खोजने का शौक़ है।
कॉफी का सिप लेते हुये जिम फोन मै मगन हैं।पता नहीं उसे क्या सूझता हैं कि वो टाइप करता हैं " घोस्ट साईट" और सर्च के बटन पर क्लिक कर देता है ।एक साथ कई घोस्ट नाम वाली साइड ओपन हो जाती हैं।
जिम क़ी आँखों मै एक शरारती चमक आ जाती हैं।देर तक वो मोबाइल मै लगा रहता हैं।बाहर बारिश अब भी लागातार हो रही है।बादलो की गढ़ गढ़हट सन्नाटे को चीरती हुई वातावरण को भयानक बना रही हैं।
जिम अब थक चुका हैं।फोन टेबल पर रख कर वो लाईट बंद कर के मुँह लिहाफ मै छुपा लेता हैं।
मोबाइल से एक चमकदार रोशनी निकलती हैंऔर छत तक जा कर गायब हो जाती हैं।घडी की सुइयां उल्टी चलने लगती हैं।जिम को कुछ पता नहीं वो नींद मै डूब चुका हैं।
सुबह जिम देर से जगा।सन्डे हैं , पानी अब भी बरस रहा हैं।वो देर से उठेगा और अपनी पसंद का नाश्ता बनाएगा।
सन्डे के बाद मंडे और फिर सारा हफ्ता बीत गया।वहीँ सेम रूटीन वर्क।जिम क़ी कोई खास यारी दोस्ती नहीं हैं।
आज सैटरडे नाईट हैं।वहीँ सुनसान सड़क और जिम।जिम अपनी मस्ती मै आगे बढ़ता जा रहा था क़ि तभी उसे तेज़ी से ब्रेक लगाने पड़े।एक सांवली सी रंगत की बड़ी बड़ी आँखों वाली लड़की ने जिम का रास्ता रोक लिया।अचानक से मौसम बदलने लगा। बिजली कड़कने लगी।शायद बारिश होने वाली थी मगर बेमौसम? 
जिम ने लड़की को हैरानी से देखा।ये वही लड़की थी जिसके साथ जिम पिछले सात दिनों से अजीब सी सोशियल नेट वर्किंग साइड पर चैटिंग कर रहा था।मगर वो यूं अचानक से इतनी रात गए उसके सामने इस तरह से आ जायगी ये तो जिम ने सपने मै भी नही सोचा था।
मौसम बिगड़ रहा था।जिम को थोड़ा अजीब तो लगा मगर वो उस लड़की को कमरे पर ले आया।

जिम ने कॉफी बनाई ।दोनों बाते करने लगे।वो केली थी।कॉल सेण्टर मै ही काम हैं और एक हफ्ते उसकी रात की ड्यूटी होती हैं एक हफ्ते दिन की।आज उसको जिम से मिलना था सो ड्यूटी पर नही गई।
जिम को स्पेशल फील हुआ।केली बहुत खूबसूरत थी।सीधे सपाट तरीके से वो खुद ही अपने बारे मे बताती जा रही थी।जैसे कोई गिटार बज रहा हो।
जिम जैसे नशे मे था।
जवान लड़का और खूबसूरत लड़की••••केली ने अपनी जेब से मोबाइल निकाला और उसमें एक धुन्न प्ले कर दी।जिम कुछ समझता इस से पहले उसने जिम का हाथ पकड़ कर अपनी तरफ खींच लिया।
जिम को एक अजीब से रोमाँच का अनुभव हुआ।
दोनों देर तक एक दूसरे मे खोये हुये डांस करते रहे।

घड़ी की सुईया उल्टी चल रही थी।जिम केली की बाँहो मै घिरा हुआ कब उसकी जादुई आँखों मे खो कर सो गया उसे पता ही नहीं चला।
सुबह जिम उठा लेकिन केली उसके पास नहीं थी।जिम हैरान परेशान था।केली यूं ही बिना बताये कैसे चली गई। और जिम के पास उसका कोई नंबर भी नहीं था ना ही कोई एड्रेस।कॉल सेंटर तो बहुत सारे होंगे,कहाँ कहाँ जाये।जिम सारा दिन खोया खोया सा रहा।उसे ऐसा महसूस हुआ जैसा उसका कुछ खो गया हो••••
जिम को सब कुछ सपने जैसा लग रहा था।जिम ने उस सोशल साइड को ओपन कारने की कोशिश करी लेकिन साइड ओपन नही हुई।जिम का पूरा दिन उदासी मे बिता।लेकिन रात 12 बजे के बाद केली फिर ऑनलाइन थी बस थोड़ी देर के लिए जिम को जैसे जिंदगी मिल गई थी।
इसी तरह पूरा हफ्ता बीत गया।और फिर से सैटरडे नाईट आ गई।वही सुनसान सड़क और केली मुस्कराते हुये सामने खड़ी थी।जिम कुछ नाराज था।केली बिंदास मुस्कराते हुये उसके पीछे बैठ गई।जिम इस अँधेरी सड़क पर कोई बात नहीं करना चाहता था।

कमरे मे पहुँच कर केली ने जिम को शिकायत करने का मौका ही नहीं दिया।केली की होठो की तपिश मे जिम पिघलता चला गया।केली बहुत खूबसूरत थी।जिम की नई उमर का पहला नाजुक लम्हा,जिसे वो केली की बाँहो मे पूरी तरह जी लेना छठा था।माहौल मे एक रहस्यमय रोमानियत थी।खिड़की के बाहर सन्नाटे के कड़कने की आवाजे आ रही।
सुबह जब जिम उठा तो पहले की तरह केली उसके पास नहीं लेकिन उसका फोन नंबर और कॉल सेंटर का एड्रेस था।जिम खुश था।जिंदगी का खालीपन भर गया था।
जिम केली से दिन मे बाहर मिलना चाहता था।मगर ताज्जुब था की केली का फोन नम्बर और सोशल साइड दोनों ही रात 12 बजे के बाद ही खुलते थे।जिम का पूरा दिन बैचेनी मे ही बीत जाता।काम मे भी उसका मन नहीं लगता।बस रात का इंतजार रहता कब केली का फोन लगे वो उसकी आवाज सुने।जिम को सैटरडे नाईट का बेसब्री से इंतजार रहने लगा।
आज सैटरडे था।जिम की बेचैनी पूरे जोरो पर थी।सुबह से रात पल पल करते बीती।और सुनसान सड़क के मोड़ पर केली खड़ी थी।जैसे जिम की जिन्दगी खड़ी हो।
केली ने मुस्कराते हुए जिम की कमर मे बाहे डाली और चिपक कर जिम के पीछे मोटर बाईक पर बैठ गई।

बाईक अपनी रफ़्तार से सुनसान काली ,चिकनी सड़क पर आगे बढ़ने लगी।केली का स्पर्श जिम के बदन मे कम्पन भर रहा था। 
आसमान मे बिजली चमकने लगी।अभी कुछ देर पहले तो आसमान मे तारे चमक रहे थे फिर यूं अचानक बिजली का चमकना ? लेकिन जिम को कुछ समझ नहीं आया वो किसी अलग ही दुनिया मे खोया हुआ था।
जिम ने जैसे ही यू टार्न ले कर गाड़ी को छोटी सड़क मे डाला ,जिम की बाईक सामने से आते ट्रक से जोर से टकराई और हवा मे कई फुट ऊँची उछली,एक दिल दहला देने वाली चीख सन्नाटे मे फ़ैल गई।बाईक सड़क के दूसरी तरफ जा कर गिरी और खून से लथपथ जिम कब बेहोश हो गया उसे पता ही नही चला।
जिम को हॉस्पिटल मे होश आया ।उसके परिवार के सभी लोग पास मे थे।डॉक्टर ,नर्स के साथ पुलिस भी सामने थी।जिम को पूरे दो दिन बाद होश आया था।पूरा जिस्म पट्टियों से बंधा हुआ था।जिम की आँखे केली को ढूंढ रही थी।और फिर जिम बेहोश हो गया।

कई दिनों के बाद जिम बयांन देने की स्थिति मे आया।उसने जब पुलिस को केली के बारे मे बताया तो वो हैरान थे।जिम अकेला ही था जब उसका एक्सीडेंट हुआ ।जिस ट्रक से जिम टकराया था उसी ने पुलिस और एम्बुलेन्स को फ़ोन किया था।और उसके मुताबिक जिम अकेला ही था।जिम के दिए फोन नंबर और कॉल सेंटर के एड्रेस पर भी पुलिस ने पता किया।नंबर गलत बता रहा था और उस कॉल सेंटर मे केली नाम की कोई लड़की थी ही नहीं।
जिम का बचना किसी करिश्मे से कम नहीं था।डॉक्टर का कहना था की इतने भयानक एक्सीडेंट के बाद उन्होंने किसी को बचते नहीं देखा था।
जिम के माता पिता ईश्वर का शुक्रिया अदा कर रहे थे।केली के प्रति उनकी रॉय ठीक नहीं थी।उनके मुताबिक वो कोई रूह थी।
जिम को ठीक होने मे महीनो लग गए।जिम ने उस सोशल साइड को खोलने की बहुत कोशिश करी लेकिन ताजुब था कि वैसी कोई साईड सर्च मे ही नहीं आई।
हॉस्पिटल से डिस्चार्ज करा कर जिम के माता पिता उसे वापिस अपने शहर ले आये।जिम को वपिंस नार्मल लाइफ जीने मे महीनो लग गए।आज जिम एक दूसरी जॉब कर रहा हैं।लेकिन ऊसके दिल के एक कोने मे केली आज भी मौजूद हैं।वो गहरी बादामी आँखों वाली उसे अक्सर अपने आस पास महसूस होती हैं।









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