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Golden goose.kids bedtime story.the horror tale.

April 26, 2019
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Golden Goose सोने का हंस.

बहुत पुरानी बात है।एक आदमी क़े तीन बेटे थे।सबसे छोटे बेटे का नाम था डेब्यूलिंग।सभी अवसरों पर उस बेचारे का अपमान किया जाता था।

एक बार आदमी का बड़ा बेटा जंगल मै लकड़ी काटने जाने को तैयार हुआ तो उसकी माँ ने बेटे को एक बड़ा टुकड़ा केक का और एक वाइन की बोत्तल दी ताकि वो जंगल मे भूख प्यास से परेशान ना हों।

लड़के ने जैसे ही जंगल मेँ प्रवेश किया तभी उसे एक भूरे, घुंघराले बालो वाला आदमी मिला।उसने लड़के से कहा" मुझे केक का टुकड़ा और एक कप वाइन की दे दो मै बहुत भूखा हूँ। " लेकिन लड़के ने कहा "अगर मै तुम्हें केक और वाइन दे दूँगा तो मेरे पास कुछ नहीं बचेगा।तुम मुझ से दूर रहो।" ऐसा कह कर वो जंगल मे चला गया।आदमी वही खड़ा रहा।

लड़के ने जैसे ही पेड़ काटना शुरू किया कुल्हाडी उसके हाथ पर लगी और खून निकलने लगा।वो घायल हाथ ले कर घर की तरफ भागा। वो बूढ़ाआदमी कही आस पास ही था।

उसके बाद दूसरे नंबर का लड़का जंगल मे जाने को तैयार हुआ।पहले वाले की तरह उसे भी एक टुकड़ा केक और वाइन का दिया गया। दूसरे लड़के को भी भूरे, घुघराले बालो वाला बूढ़ाआदमी मिला। उसने पहले क़ी तरह उस से भी केक और वाइन माँगी। दूसरे लड़के ने कहा " मुझ से दूर रहो, मै तुम्हें कुछ नहीं दूँग।" बूढा खड़ा रह गया और लड़का जंगल मे चला गया।

वहाँ पहुँच जैसे ही लड़का लकड़ी काटने को तैयार हुआ । उसकी कुल्हाड़ी का वार पेड़ पर गलत लगा और पेड़ उसकी टाँग पर गिर पढ़ा।दूसरा लड़का भी घायल अवस्था मे घर की तरफ भागा । बुडा आदमी तब भी कही आस पास ही था ।

अपने दोनों भाइयों की ऐसी हालत देख कर डेब्यूलिंग ने अपने पिता से कहा " मुझे भी जंगल मेँ लकड़ी काटने जाना है" पिता ने कहा " नहीं, तुम्हें इन कामों की कोई समझ नहीं है,अपने भाईओ की हालत देखों " पिता ने साफ़ मना कर दिया। लेकिन डेब्यूलिंग ने पिता को मना लिया। जब डेब्यूलिंग जंगल की तरफ जाने लगा। तो उसको माँ ने एक टुकड़ा केक और खट्टी बिअर दी ।

डेब्यूलिंग जब जंगल मेँ पंहुचा तो उसे भी वहीँ भूरे, घुंघराले बालों वाला बूढ़ा आदमी मिला और उसने डेब्यूलिंग से भी केक और वाइन माँगी। डेब्यूलिंग ने कहा कि " मेरे पास सादा सा एक टुकड़ा केक है और खट्टी बियर है वाइन नहीं है अगर आप खाना चाहे तो खा सकते है" बूढ़ा आदमी तैयार हो गया।
डेब्यूलिंग ने जब खाने का समान निकाला तो वो एक मीठा केक और बहुत बढ़िया क़्वालिटी की वाइन मे बदल चुका था
दोंनो ने मिल कर केक खाया और वाइन पी।बूढ़ा आदमी बहुत खुश हुआ उसने कहा " तुम बहुत अच्छे आदमी हों, मै तुम्हें आशीर्वाद देता हूँ.. आगे जाओ एक पुराना पेड़ तुम्हें मिलेगा उसे काटना उसकी जड़ो मे तुम्हें कुछ जरूर मिलेगा " ये कह कर आदमी ओझल हों गया ।डेब्यूलिंग जंगल की तरफ़ बड़ गया ।

जंगल मे डेब्यूलिंग ने एक पुराने पेड़ को काटा।पेड़ जैसे ही कट के जमीन पर गिरा उसकी जड़ो मे डेब्यूलिंग को एक बेहद खूबसूरत हंस मिला जिसके पंख सोने के थे।डेब्यूलिंग ने हंस को गोद मे ले लिया और वापिस चल पड़ा।रात हो चुकी थी,उसने सराय मे रात गुजारना ठीक समझा।

सराय के मालिक की तीन बेटियां थी। वो तीनो हंस को ले कर बहुत उत्सुक थी। सबसे बड़ी बेटी सोच रही थी कि कैसे उस को मौका मिले और वो हंस के पंख तोड़  ले। डेब्यूलिंग जैसे ही किसी काम से सराय के बाहर गया ।बड़ी लड़की ने हंस के पंख नोंच लिये लेकिन उसके हाथ पंखो से ही चिपक गए।

फिर दूसरी लड़की आई उसे भी पंखो का लालच था ।लेकिन जैसे ही उसने पंख लेने चाहे वो भी चिपक गई।
दूसरी के बाद तीसरी का भी यही हाल हुआ पंखो के लालच में तीनों बहनें हंस से चिपक गई।

बाहर से डेब्यूलिंग चिल्लाया " भगवान के लिये उसे छोड़ दो उस से दूर रहो " लेकिन बहनें इतनी बुरी तरह हंस से चिपक गई थी क़ि उन्हें रात हंस के साथ ही बितानी पड़ी।

सुबह डेब्यूलिंग ने देखा क़ि हंस उसकी गोद में बड़े आराम से बैठा हुआ है और तीनोँ बहनें अब भी एक दूसरे से चिपकी हुई इधर उधर आड़ी-तिरछी दौड़ रही।तीनोँ बहनें अपनी हरकत पर बहुत शर्मिंदा थी।

बहनें आड़ी-तिरछी हो कर रास्ते मे भागे जा रही थी।उन्हें रास्ते मे एक आदमी मिला उसने कहा " इस तरह से रास्ते में लड़कियो को भागना शोभा नहीं देता रुको"..लेकिन उन लड़कियों ने जैसे ही खुद को रोकने के लिये उस आदमी को पकड़ना चाहा उसको छूते ही वो भी उनके पीछे भागने को बाध्य हो गया।

उस आदमी के पीछे एक युवा लड़का भागा।लड़का चिल्ला रहा था " अरे गुरु जी इस तरह क्यों भाग रहे हैं ,लोग क्या कहेगें ?..गुरु जी ने लड़के को छुआ तो लड़का भी उनके पीछे भागने लगा।इस तरह उन तीन बहनोँ के पीछे अब वो दो भी भागने लगे।

रास्ते मे दो मजदुर मिले जो उन पांचों को आश्चर्य से देख रहे थे।गुरु जी ने उन दोनों से कहा " मदत करो भाइयों " उन्हों ने डरते हुये उन्हें छुड़ाने की कोशिश करी।लेकिन वो दोंनो भी साथ मेँ चिपक गए।अब कुल मिला कर वो सात लोग एक दूसरे से चिपके हुए डेब्यूलिंग और हंस के पीछे दौड़ रहे थे।

डेब्यूलिंग ,हंस और वो सातो एक शहर में पहुँचे। वहां के राजा की एक बेटी थी।जो बहुत उदास रहती थी।कभी नहीं हँसती थी।राजा ने पूरे शहर में ये ऐलान करवा दिया क़ि जो राजकुमारी को हंसाएगा उस से वो राजकुमारी का विवाह कर देगा। डेब्यूलिंग हंस के साथ राजा के महल में पंहुचा । वो सातो भी आड़े-तिरछे होते हुए पीछे पीछे दौड़ रहे थे।उन्हें देखते ही राजकुमारी जोर से हँस पड़ी और देर तक हँसती ही रही।

अब ऐलान के मुताबिक राजा को अपनी बेटी का विवाह डेब्यू लिंग के साथ करना था लेकिन राजा को डेब्यूलिंग बिल्कुल भी पसंद नहीं आया।  राजा ने शर्त रखी किसी ऐसे आदमी को लाओ जो रात होने से पहले वाइन के पूरे बैरल को पी जाये।अगर ऐसा होता है तब ही राजा डेब्यूलिंग से अपनी बेटी का विवाह करेगा।
डेब्यूलिंग ने थोड़ा सोचा और बोला " ठीक है महाराज " डेब्यू लिंग सीधा जंगल में पंहुचा जहाँ पेड़ की जड़ में उसे सोने का हंस मिला था। वहां वही भूरे घुंघराले बालों वाला आदमी बैठा हुआ था। आदमी ने डेब्यूलिंग से कहा "मुझे बड़ी प्यास लगी है, मुझे वाइन पिला दो " डेब्यूलिंग उस बूढे आदमी को ले कर राजा के पास पहुँचा।

कुछ ही देर में उसने वाइन का पूरा बैरल पी लिया। सभी हैरान थे।डेब्यूलिंग ने कहा " राजकुमारी क्या अब तुम मुझसे शादी करोगी " लेकिन राजा को लगा मुझे इस बदसूरत आदमी से अपनी बेटी को दूर रखना चाहिए।

राजा ने दूसरी शर्त रख दी।"एक ऐसा आदमी ढूढ कर लाओ जो ब्रेड का पूरा पहाड़ खा सके।इस बार डेब्यूलिंग ने कुछ नहीं सोचा और वो सीधा जंगल मे पहुँच गया।घुँघराले बालों वाला आदमी खुद को पट्टी से बांध ने की कोशश कर रहा था। उसे देखते ही वो बोला "मुझे बहुत भूख लगी है।मै जितना भी खा लू मेरा पेट नहीं भर रहा, खाने को कुछ है नहीं इस लियें मै खुद को बाँध रहा हूँ।" ये सुन कर डेब्यूलिंग खुश हो गया।वो बोला " आओ मेरे साथ " डेब्यूलिंग  बुढे आदमी को ले कर राजा के पास पहुँचा। राजा ने शहर से आटा इक्ट्ठा करवा के ब्रेड बेक करवाई और उसका पहाड़ बनवा दिया।

देखते देखते बूढ़ा आदमी ब्रेड का पूरा पहाड़ हजम कर गया।उसके बाद डेब्यूलिंग ने फिर पूछा "  क्या अब में राजकुमारी से शादी कर सकता हूँ "

राजा अब भी उसे  अपनी बेटी के लिये पसंद नहीं कर रहा था।सो उसने तीसरी शर्त रखी। राजा बोला " एक ऐसा शिप ले  कर आओ जो पानी और ज़मीन दोंनो पर चल सके । अगर तुम ऐसा कर सके तो मै निश्चिंत ही तुम्हारी शादी राजकुमारी से कर दूँगा ।"
डेब्यूलिंग तुरंत ही जंगल में भूरे, घुँघराले बालों वाले बूढे के पास पंहुचा , और उसे सारी बात बताई । बूढ़ा बोला " मै तुम्हारी मदत करूँगा क्यों कि तुम एक नेक दिल इंसान हो, तुमने मुझे भर पेट खाना खिलाया और वाइन भी पिलायी।" ऐसा कह कर बूढे ने डेब्यूलिंग को एक ऐसा शिप दिया जो जमीन और पानी दोनों पर चल सकता था।डेब्यूलिंग की ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा।
वो शिप ले कर राजा के पास पंहुचा।अब राजा के पास उसे अपनी बेटी से दूर रखने का कोई बहाना नहीं था।राजा ने डेब्यू लिंग और राजकुमारी का विवाह करवा दिया।राजा के गुजर जाने के बाद डेब्यूलिंग वहां का राजा बना। सोने का सुंदर हंस अब भी उसके पास था।
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The fishermen.kids bedtime story.the horror tale.

April 26, 2019
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 मछुआरा (kids bedtime story) 

एक समय की बात हैं।एक गाँव में एक गरीब मछुआरा अपने तीन बच्चों और पत्नी के साथ रहता था।मछुआरा इतना गरीब था क़ि वो अपने परिवार का पालन- पोषण बड़ी मुश्किल से कर पाता था । मछुआरा रोज तड़के उठ कर समुंद्र मेँ मछली पकड़ने चला जाता और सूरज छुपने के बाद ही घर लौटता।

मछुआरे का एक नियम था । वो चार बार से ज्यादा अपना जाल समुंद्र में नहीं फेकता था । मछुआरे ने भगवान का नाम ले कर जाल को समुंद्र मे फेंका और इंतजार करने लगा।थोड़ी देर बाद ही उसे जाल भारी मालूम दिया ।मछुआरा खुश हो गया उसे लगा कोई मोटी मछली फंसी हैं।मछुआरे ने जोर लगा कर जाल बाहर खीचा। जाल में मछली की जगह हड्डियां भरी हुई थी।हड्डियों की वजह से मछुआरे का जाल कई जगह से टूट भी गया था। मछुआरे को निराश हुई लेकिन उसने जाल को साफ कर के फिर से पानी में फेंक दिया और इंतजार करने लगा।

थोड़ी सी देर बाद ही जाल फिर से भारी लगने लगा।मछुआरे ने बड़ी उम्मीद से जोर लगा कर जाल को पानी से बाहर खींचा।इस बार उसका जाल कचरे से भरा हुआ था ।मछुआरे को बड़ा दुःख हुआ। उसने दुखी हो कर कहा " हे भगवन में अपने परिवार को क्या खिलाऊँगा " दुखी मछुआरे ने अंपने जाल से कचरे को बाहर फेंका और तीसरी बार से जाल को समुंद्र में फेका और प्राथना करने लगा क़ि इस बार जाल में मछली जरूर फँसे ।

तीसरी बार जाल फिर से भारी लगा।पहले से निराश मछुआरे ने कुछ उम्मीद से जाल को पानी से बाहर खीचने लगा।लेकिन हे भाग्य ! इस बार भी मछुआरा दुःख और निराश से भर गया।जाल में कोई मछली नहीं थी।जाल पत्थर, शैल और मिट्टी से भरा हुआ था। " हे भाग्य..मुझ पर तरस खाओ " मछुआरे ने अत्यंत दुःख से कहा ।उसकी आँखों के आगे अपनी पत्नी और बच्चों का चेहरा घूमने लगा जो इस इंतजार में थे की आज मछुआरा खाली हाथ नहीं लौटेगा।

मछुआरे ने अपने जाल से गंदगी साफ करी और आखरी और चौथी बार अपने जाल को समुंद्र में फेंक दिया। निराशा जनक इंतजार उसके चेहरे पर फैल गया। कुछ वक़्त गुजरा जाल फिर से भारी हो गया।मछुआरे ने जाल बाहर खींच लिया ।लेकिन इस बार भी जाल में कोई मछली नहीं थी।इस बार जाल में एक बहुत पुराना लेम्प फंसा हुआ था। मछुआरे ने बेमन से उस लैंप को जाल से बाहर निकाला और अलट-पलट कर देखने लगा।

लैंप का ढ़क्कन बंद था और उस पर एक सील लगी हुई थी। मछुआरे ने सोचा ,इस लैंप को वो बाजार में बेच देगा और उन पैसों से अपने परिवार के लिए खाने का सामान ले जायेगा। मछुआरे ने लैंप को हिला कर देखा उसमे कोई भारी चीज इधर से उधर हो रही थी। मछुआरे को लगा शायद लैंप के अंदर भी कोई कीमती चीज मिल जाये जिसे बेच कर कुछ ज्यादा पैसे मिल जाये।ऐसा सोच कर उसने थोड़ी कोशिश कर के दक्कन की सील को तोड़ दिया और लैंप के दक्कन को खोल दिया ।मछुआरे ने लैंप मे झाँक कर देखा तो हैरान हो गया लैंप ख़ाली था ।

मछुआरा अभी कुछ सोच ही रहा था क़ि तभी लैंप के अंदर से गाढ़ा धुँआ निकलने लगा। डर के मारे मछुआरे के हाथ से लैंप छूट कर गिर गया।लैंप से निकल कर धुँआ पहले चारो तरफ फैल गया फिर उसने गोल बवंडर का रूप ले लिया।और अचानक उसमें से एक जिन्न प्रकट हुआ।भयानक आकृति को देख कर मछुआरा डर से काँपने लगा । उसका दिल चाहा क़ि वो यहाँ से तुरंत भाग जाये।लेकिन डर के मारे उसके पैर ज़मीन से चिपक गए।

विशाल जिन्न ने हुँकार भर कर कहा।" हे महान् जिन्न के राजा, अब मै आपकी आज्ञा का उलंघन कभी नहीं करूँगा।"
मछुआरे ने जब ये सुना तो उसे कुछ हिम्मत आई और उसने जिन्न से डरते हुए पूछा।
" ये तुम क्या कह रहे हो ? कौन राजा ? तुम्हे लैंप में किस ने बंद किया था ?

जिन्न फिर गरजा , " मेँ तुम्हे मार दूँगा, बस तुम्हें इतनी छूट हैं की तुम अपनी मौत का तरीका खुद तैय कर सकते हो "

" ये क्या कह रहे हो जिन्न ? मैने तो तुम्हे आजाद किया हैं ,क्या तुम ये भूल गए।" मछुआरे ने डर से चिल्लाते हुए कहा।

"नहीं मै तुम्हे बस यही छुट दे सकता हूँ क़ि तुम खुद ये तै कर सको क़ि किस तरह मरना हैं ,मै तुम्हे बताता हूँ की ऐसा क्यों हैं ,सुनो मेरी बात "

जिन्न बताने लगा। " जब मुझे जिन्नो के राजा ने लैंप में बंद कर के पानी में फेंका तो मैने शपथ ली कि जो भी इंसान मुझे सौ साल पूरे होने से पहले आजाद करेगा मै उसे मरने से पहले दुनिया का सब से अमीर आदमी बना दूँगा । लेकिन ऐसा नहीं हुआ ,पूरे सौ साल बीत गए लेकिन मुझे किसी ने भी आजाद नहीं किया "
जिन्न ने आगे बताया " फिर दूसरी सदी शुरू हो गई। मैने फिर शपत ली ।इस बार सौ साल पूरे होने से पहले जो आदमी मुझे आजाद करेगा उसे मरने से पहले मै दुनियां के सारे खजाने दे दूँगा।लेकिन अफ़सोस ऐसा नहीं हुआ मुझे उन सौ सालो में भी किसी ने आजाद नहीं किया "
जिन्नी ने लंबी साँस खींच कर आगे बताना जारी रखा। " तीसरी सदी शुरू हो गई।मैने शपत ली कि इस बार जो भी मुझे बचाएगा मै उसे राजा बना दूँगा और उसके पास ही रहूँगा।रोज उसकी तीन इच्छाएं पूरी करूँगा। लेकिन तीसरी सदी पूरी होने के बाद भी मुझे किसी ने नहीं बचाया तो मुझे गुस्सा आ गया और मैने शपत ली कि अब जो भी व्यक्ति मुझे बचायेग,मै उसे मार दूँगा बस उसे अपनी मौत का तरीका चुनने का अधिकार होगा। और वो आदमी तुम हो सो अब मै तुम्हे मार डालूँगा "
जिन्न ने कहा।

मछुआरे ने जब ये सुना तो अपने सिर पर हाथ मार लिया।वो बहुत नाखुश था।उसने कहा " ओहो मेरा दुर्भाग्य.. प्लीज मुझे छोड़ दो "

"नहीं,मेरा समय बर्बाद मत करो और जल्दी बताओ क़ि तुम कैसे मरना चाहते हो।"  जिन्न ने कहा।
मछुआरा तरकीब सोचने लगा।
मछुआरे ने कहा " इस से पहले मै मरू ,मै यक़ीन करना चाहता हूँ क़ि तुम इस लैंप में थे।ये इतना छोटा लैंप हैं कि इसमे तो तुम्हारा एक पैर भी नहीं आएगा,तो तुम पूरे इसमें कैसे समां गए । " मछुआरे ने कहा।

 यह सुनते ही जिन्न ने खुद को धुँए मेँ बदलना शुरू कर दिया। जैसे वो धुँए से जिन्न में बदला था वैसे ही जिन्न से धुँए में बदलने लगा और छोटा होते होते लैंप में समां गया।लैंप के अंदर पूरी तरह समाने के बाद जिन्न बोला।
" अब तो तुम्हें यक़ीन हो गया क़ि मै इसी लैंप में था "

मछुआरे ने कोई जवाब नहीं दिया और तुरंत लैंप का ढक्कन बंद कर दिया ।और गुस्से से गरज के बोला " अब तुम मुझे बताओ कि तुम कैसे मरना चाहोगे,या तुम्हे वैसे ही समुंद्र में फेंक देता हूँ डूबने के लिए। और समुंद्र के किनारे एक घर बना कर यहाँ रहने लगूँ दुसरे मछुआरों को ये बताने के लिए क़ि एक ऐसा जिन्न हैं जो आजाद करने के बदले में मार देता हैं ।"

जिन्न चिल्लाया । " मुझे छोड़ दो,इसके बदले मे मै तुम्हे सब कुछ दूँगा " जिन्न चलाकी पर उतर आया।

" नहीं,अब अगर मै तुम पर विश्वास करता हूँ तो ये बिल्कुल ऐसा होगा जैसे ग्रीक के राजा ने शल्यचिकित्सक डब्यून के साथ किया था और मछुआरे ने जिन्न को कहानी सुननी शुरू कर दी।....
समाप्त।

😄😄🏃💛🙄👅🙏🎈🎎🎈🎎🎉🌋💖🎉🎉

एक वक़्त था जब बच्चे बिना कहानी सुने सोते नहीं थे।बच्चे तो बच्चे ,बड़ो को भी किस्से कहानियां बहुत पसंद थे।फिर जाने वो वक़्त कहाँ खो गया।हम पैसा कमाने की दौड़ में शामिल हो गए और किस्से कहानियां भी गए वक़्त की बात हो गए। मेरा मानना हैं कहानियां हमें एक अलग दुनियां में ले जाती हैं जहाँ हम खुद से बहुत कुछ रचते हैं।तो चलिये एक कोशिश करते हैं।फिर से कुछ रचने की,कुछ गढ़ने की ,अपने जहन को परिओ और परिंदों की दुनियां में ले जाने की।
सीमा खन्ना.


उम्मीद हैं आपको ये कहानी पसंद आई होगी।
इसी तरह कहानियों से जुड़े रहे।फिर मिलते हैं।धन्यवाद...


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Kids bedtime stories.the horror tale.

April 26, 2019
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Kids bedtime stories.

 मुर्ख गधा (1)

Foolish Donkey

एक नमक का व्यापारी था।वो रोज अपने गधे पर नमक के बोरे लाद कर बाज़ार में बेंचने जाता था। उनके रास्ते में एक छोटा सा साफ पानी का नाला पड़ता था।उसे पार करके ही उन्हें आगे जाना होता था।


एक रोज गधे का पाँव थोड़ा सा फिसल गया और नमक के बोरे पानी में डूब गए।गधा काफी कोशिशो के बाद सम्भल कर खड़ा हुआ।तब तक नमक पानी में घुल कर बह गया।बोरे काफ़ी हल्के हो गये ।गधे को बहुत ख़ुशी हुई।



अब गधे को ये ट्रिक समझ आ गई कि जैसे ही नमक के बोरे पानी में डूबेगे ,नमक पानी में घुल कर बह जाएगा और उसका बोझ हल्का हो जायेगा।



अब गधा रोज ही ऐसा करने लगा।पानी में उतरते ही वो रोज नीचे बैठ जाता। नमक घुल कर बह जाता। व्यापारी का बड़ा नुकसान होने लगा। साथ ही व्यापारी समझ गया कि गधा चलाकी कर रहा है। व्यापारी ने गधे को सबक सीखने की तरकीब सोची।



व्यापारी ने गधे की पीठ पर नमक की जगह रुई से भरें बोरे लाद दिए। जो काफी हल्के थे।गधा काफी खुश था उसने सोचा पानी में पहुँच कर वो। अपने बोझ को और हल्का कर लेगा। लेकिन जैसे ही बोरे पानी में डूबे रुई गीली हो कर और ज्यादा भारी हो गई। गीली रुई के बोझ से गधे की पीठ में दर्द होने लगा। अब गधे की चलाकी उसको भारी पड़ गई थी।



उस दिन के बाद गधे ने कभी चलाकी नहीं करी।व्यापारी बहुत खुश था।



🐩🐺🐱🐯🐂🐃🐄🐐🐑🐏🐽🐪🐖


पहेली (2)

riddles and puzzles

राजा अकबर को पहेलियाँ बूझने और बुझवाने का बहुत शोंक था। वो अक्सर अपने दरबारियों से कोई ना कोई पहेली पूछते रहते थे। कुछ पहेलियाँ मजेदार होती थी कुछ बड़ी विचित्र।

उस दिन भी राजा अकबर ने अपने दरबारियों से कुछ ऐसी ही पहेली पूछी थी जिसके जवाब में सभी दरबारियों ने सिर झुका लिया था। पूरे दरबार में लग़-भग  सन्नाटा पसर गया था।
राजा ने बारी बारी से सब की तरफ़ देखा लेकिन उस विचित्र पहेली का जवाब किसी के पास नहीं था।

तभी दरबार में बीरबल ने प्रवेश किया। दरबारियों की स्थिति देख कर वो समझ गए क़ि राजा जी ने कुछ अनोखा सवाल पूछा हुआ है। बीरबल ने सिर झुक5 कर बड़े अदब से पूछा।
" जहाँपनाह ,क्या में सवाल जान सकता हूँ ? ताकि एक कोशिश में भी कर सकूँ ।"

राजा अकबर बोले " तो बताओ बीरबल हमारे राज्य में कुल कितने कौवे हैं ?"
बीरबल ने जवाब सोचने में जरा भी समय नहीं लगाया और बड़े अदब से जवाब दिया । " जी जहाँपनाह , हमारे राज्य में कुल पचास हजार ,पाँच सौ,सतासी कौवे हैं ।"

" तुम ये इतने यकीन से कैसे कह सकते हो ?" राजा अकबर ने कहा ।
बीरबल ने फिर बड़े सलीके से थोड़ा झुक कर कहा " आप गिन लीजिये जहाँपनाह ..अगर कुछ कौवे ज्यादा निकले तो इसका मतलब है कि कुछ कौवे अपने रिश्तेदारो से मिलने आये हुए हैं। और अगर कुछ कम निकले तो इसका मतलब है कि कुछ कौवे अपने रिश्तेदारों से मिलने गए हुये हैं ।" 

जवाब सुन कर राजा अकबर ज़ोर से हँस पड़े।उन्हें उनकी पहेली का जवाब मिल चुका था।

🐽🐮🦁🐯🐏🐑🐃🐄🐩🐺🐴🐱🐖🐪🐷🐎


चतुर चोर (3)

Clever Thief.


एक चोर था। उसका नाम रॉबी था। रॉबी बहुत चतुर था। ऐसा सभी का मनना था। इस वजहा से रॉबी के सभी साथी रॉबी से जलते थे।इसलिये उन्होंने मिल कर उसे पकड़वाने की स्कीम बनाई।


साथियो ने रॉबी को चैलेंज दिया कि अगर उसमें हिम्मत है तो वो राजा का पैजामा चुरा कर दिखाये। रॉबी ने चैलेंज स्वीकार कर लिया। साथी जानते थे क़ि अगर वो राजा के महल में चोरी करते पकड़ा गया तो उसे राजा बहुत बड़ा दंड देंगें।और ये बात रॉबी भी जनता था। अब वो राजा का पैजामा चुराने का प्लान बनाने लगा।



रॉबी राजा के महल में पंहुचा।उसने देखा राजा मजे से सोया हुआ है। रॉबी ने आपनी जेब से एक छोटी सी शीशी निकली।उसमें लाल चींटिया थी। रॉबी ने शीशी को राजा के पलंग पर उलट दिया।

चींटियों ने राजा को काटना शुरू किया। राजा दर्द से बिलबिला उठा।और जोर जोर से नोकरो को पुकारने लगा।


नोकर भागे हुये अंदर आये। लेकिन इतनी सारी लाल चींटियों को देख कर वो भी घबरा गए।किसी की समझ में कुछ नहीं आ रहा था और राजा का हाल बुरा था।



रॉबी नोकरो में मिल गया और उसने झट पट राजा से उसका पैजामा उतरवा कर जोर जोर से झटकता हुआ महल से बहार आ गया। और हड़बड़ी में महल से बाहर भी निकल आया।राजा या नोकरो में से किसी को भनक भी नहीं लगी।



रॉबी ने पैजामा ला कर साथियों के आगे रख दिया।साथियो ने एक मत हो कर मान लिया की रॉबी एक बुद्धिमान चोर है।




🦁🐮🐽🦄🐗🐏🐑🐪🐎🐺🐩🐕🐶





चौकीदार (4)

Watchman

एक संग्रहालय (museum) में रात को पहरा देने के लिये चोकीदार की जरुरत थी।मैनेजर ने अख़बार में विज्ञापन दिया।जिसके जवाब में उसे बहुत सारी एप्लीकेशन आई।लेकिन मैनेजर की समझ में कुछ नहीं आ रहा था।उसे हर आदमी में कोई ना कोई कमी नजर आ रही थी।संग्रहालय बहुत बड़ा था। मैनेजर किसी गलत आदमी को रखना नहीं चाहता था।

आखिरकार उसने एक कंडिडेट को बुलाया । वो एक पतला दुबला नोजवान लड़का था। मैनेजर ने उसकी हैल्थ से सम्बंधित सवाल किया।जवाब में जवाब में लड़के ने कहा " मुझे रात में नींद ना आने की बीमारी हैं ।"

जवाब सुनते ही मैनेजर ने मुस्कराते हुये पूरी तसल्ली से लड़के को नोकरी दे दी।

🏖🏘🏕🏝🎎🎍🎌🎈🎉🎈🎉🎏🎄


भेड़िया और सारस(5)

Crane and wolf

एक  भेड़िया था। उसे एक दिन बहुत बढ़िया शिकार मिला । भेड़िया भूखा था सो जल्दी जल्दी खाने लगा। जल्दबाजी में भेड़िये के गले में हड्डी अटक गई।भेड़िये को साँस लेने में भी परेशानी होने लगी। उसने बहुत कोशिश करी लेकिन हड्डी गले से नहीं निकाल पाया।भेड़िये ने सोचा ऐसे तो वो मर जायेगा।

वो सोचने लगा अब क्या ? तभी भेड़िये को सारस का धयान  आया । सारस की गर्दन लंबी और पतली थी।भेड़िये ने सोचा वो हड्डी को निकाल कर  उसे आराम दिला सकता है । ऐसा सोच कर वो सारस के पास पहुच गया।

भेड़िये ने सारस ने बिनती करी " सारस भाई मेरे गले में फंसी हुई हड्डी निकाल दो ,मै तुम्हें मुँह माँगी फीस दूँगा।"

सारस ने अपनी लंबी गर्दन  को भेडिये के मुँह में डाला और हड्डी को निकाल दिया। भेड़िये की जान में जान आई। अब सारस ने भेड़िये से अपनी फीस मांगी।

भेड़िये ने दोनों हाथ कमर पर रखे और आँखों को गोल गोल घुमा कर बोला । " तुमने अपनी गर्दन मेरे मुँह में डाली और सुरक्षित निकाल ली क्या ये फीस कम हैं.. अब और फीस भूल जाओ ।" 

कह कर भेड़िया कूदता हुआ जंगल में गुम्म हो गया ।

😇😇🐂🐮🐯🍑🍒🏘🏖🌋🏠🏚🏝


बदसूरत बत्तख़ (6)
Ugly Duckling

मौसम बहुत ख़ुशगवार था। बसंत शुरू हो चुका था।हवा में ताज़गी थी।इतने रोमानी मौसम में एक छोटी सी झोपडी के पीछे एक बत्तख़ अपने दस अन्डो के ऊपर बैठी उन्हें सै रही थी।

" क्रिक.. क्रिक..क्रिक " अन्डो से आवाज आई और छोटे छोटे सुन्दर ,प्यारे बत्तख़ के बच्चे अंडो से बाहर आने लगे। लेकिन एक अंडा नहीं फूटा । वो बाक़ी अंडो से कुछ अलग और बड़ा था । बत्तख़ फिर उस अंडे पर बैठ गई।

दूसरे दिन अंडे से आवाज आई। "क्रेक... क्रेक " और एक नन्हा बच्चा अंडे से बाहर निकल आया। वो बच्चा बाक़ी बच्चों से कुछ अलग था।

बत्तख़ ने अपने सारे बच्चों को इक्कट्ठा किया और तालाब की तरफ बड़ चली।बच्चे लाईन बना कर बत्तख़ के पीछे चल रहे थे।आखरी बच्चा सब से पीछे था।

बत्तख़ ने कहा " बच्चों एक एक कर के तालाब में जम्प लगाओ "  बच्चों ने वैसा ही किया। सब बच्चे धीरे धीरे तैरने लगे।आखरी बच्चा बाकी बच्चों से ज्यादा अच्छा तैर रहा था। थोड़ी देर बाद बत्तख़ बच्चों को ले कर वापिस लौट आई।

जो बच्चा सब से अलग था उसे सब तंग करते थे।कोई उसको नोचता, कोई काटता, कोई मारता ।बच्चा उदास और दुखी रहने लगा।कोई उसके साथ खेलता तो था नहीं । वो उदास बच्चा तालाब के दूसरे किनारे पर जा कर बैठ जाता।

तालाब में बहुत सरे सफ़ेद ,सुन्दर पतली लंबी गर्दन वाले हंस एक साथ लाइन बना कर तैरते थे।बच्चे को ये सब देखने में बहुत मजा आता। धीरे धीरे बसंत का मौसम बीत गया और सर्दियाँ आ गई।तालाब बर्फ से पट गया ।हंस वहाँ से चले गए।

बच्चा ठंडा और उदास रहने लगा।बत्तख़ के अलावा उसके पास कोई ना आता।मौसम एक सा नहीं रहता और सर्दी का मौसम गुजर गया। हवा फिर से ख़ुशगवार हो गई।फ़ूल फिर से खिलने लगे। बसंत शुरू हो गया।

तालाब में फिर से पानी बहने लगा। बत्तख़ का आखरी बच्चा फिर से तालाब के किनारे पहुँच गया । तालाब में हंस तैर रहे थे। बच्चे का मन चाह वो भी हंसो के साथ जा कर तैरे ,मगर वो जनता था क़ि वो उसे दूसरो की तरह मारेंगे। वो मरना चाहता था । बच्चा पानी में उतर गया। उसके चारो तरफ हंस तैरने लगे । हंसो ने उसे घेर लिया। तभी बत्तख़ के बच्चे की नज़र पानी में गई। वहाँ उसने एक सफ़ेद,सुन्दर ,पतली गर्दन वाले हंस को देखा। वो उसकी छवि थी। वो एक हंस था।

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इच्छाधारी नागिन और जोगी An emotional suspense story. the horror tale.

April 25, 2019

The horror tale suspense scary stories.इच्छाधारी नागिन और जोगी.

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पिछले 10 साल में मैने सिर्फ काम में धयान दिया था। कच्ची उम्र में सबके मना करने के बावजूद शादी की थी जो 10 दिन में ही खत्म हो गई थी।उस तकलीफ को भुलाने के लिए खुद को काम में झोंक दिया था। अब ब्रेक की जरुरत थी। 
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उस हवेली को कुछ वक़्त के लिए मैने किराये पर ले लिया था। मेरा एक खास दोस्त भी मेरे साथ था।वहाँ की खुली हवाओं में मुझे सकून महसूस हो रहा था। हवेली में हम दोनों के अलावा दो लोग और थे। एक बूढ़ा माली जो हवेली की देखभाल करता था। उसका कहना था क़ि उसके पिता का जीवन भी इस हवेली की देखभाल में ही बीता था। दूसरी थी वो नीली गहरी आँखों वाली जो हर वक़्त मेरे आस पास मंडराती रहती थी। परियो जैसा हुस्न ..भगवान ने बड़ी फुर्सत में गढ़ा था उसे।

मेरा दोस्त मुझे उसके नाम से छेड़ने लगा था। " तुम पर कोई जादू ना कर दे...जरा संभल कर रहो..मुझे ये लड़की नार्मल नहीं दिखती.." वो कहता और मै मुस्करा देता।मेरा दोस्त एक हफ्ता मेरे साथ रहा था।फिर चला । लेकिन आज वो फिर आ रहा था। उसका काम कुछ ऐसा ही था। वो नई जगहों पर भी अपना काम ढूंढ लेता था।

मुझे यहाँ आये हुए एक महीना हो चला था।लेकिन वापिस जाने का मन ही नहीं कर रहा था। मुझे अपने दिल की बात किसी से करने की आदत नहीं हैं। लेकिन अब जी चाह रहा था मेरा दोस्त जिक्र छेड़े और मै खूब बाते करू उस गहरी आँखों वाली की।

हवेली में बहुत सारे कमरे थे। मेरा और मेरे दोस्त का कमरा साथ साथ था। हॉल जैसा ड्राइंगरूम  था। पुराने ज़माने की साज सज्जा उस हवेली को रॉयल लुक देती थी। मै उस हवेली को खरीदने का मन बना चुका था। हवेली के पीछे ही माली का कमरा था उसके साथ वाला कमरा उस गहरी आँखों वाली का था।मुझे कभी वहां जाने की नोबत नहीं आई वो ही सारा दिन मुझे यहाँ वहाँ नजर आ जाती थी। वो ज्यादा बोलती नहीं थी लेकिन उसकी आँखे जैसे चुप ही नहीं होती थी।गजब की कशिश थी उसमें..।

मेरा दोस्त अगला पूरा हफ्ता मेरे साथ ही रहने वाला था।
शाम का वक़्त था वो कोई किताब पढ़ रहा था।मै सिगरेट के कश खीचता हुआ कुछ सोच रहा था।तभी उसने चाय की ट्रे के साथ कमरे में प्रवेश किया। चाय मेज पर रख कर उसने कमरे के पिछले दरवाजे की तरफ देखा जो खुला हुआ था।

" साहब इस दरवाजे को बंद रखा करे..कुछ दूरी पर सपेरों की बस्ती हैं.. अगर कोई नागिन अंदर घुस आई तो क्या करेंगे ..?"
उसने नीली आँखों से मुस्कराते हुए मेरी तरफ देखते हुए कहा।
मेरे दोस्त ने किताब से नज़र हटा कर उसकी तरफ देखा। फिर यूँ ही उसने उसकी तरफ सवाल उछाल दिया।

" क्या तुम इच्छाधारी साँपो पर यक़ीन करती हो.." मै उसके सवाल पर मुस्करा दिया।

"हां..एक कहानी सुनेंगे..?" उसने कहा।हमने हा कर दी।हमें कहानी सुन ने में बड़ी दिलचस्पी थी और शायद उसे सुनाने में ज्यादा। उसने बड़ी गहरी नज़रो से मुझे देखा और कहानी सुनानी शुरू करी।


कई सौ साल पहले एक सपेरों का कबीला था। उसमें एक जोगी था। जोगी को नागो को साधने का बड़ा हुनर था। कहते हैं हर सपेरा जोगी नहीं बन सकता। जोगी वो होता हैं जो अनदेखे अनजाने प्रेम के प्रति अपना सारा जीवन समर्पित कर दे। जोगी को भी लगन थी,एक ऐसे प्रेम की जो किस्से कहानियों में ही मिलता हैं। कहते हैं जोगी अपनी साधना और टप के ज़रिये अपनी बीन के सुरो में इतना जादू भर लेता हैं क़ि इच्छाधारी नागिन उसकी बीन की धुन पर नाचने को बेताब हो जाती हैं।

जोगी को बीन के साथ बाँसुरी बजने में भी महारथ हासिल था। वो जंगलो में भटकता रहता।उसकी बासुरी के सुर फिजा में गूंजते रहते। जो भी जोगी को सुनता मदमस्त हो जाता। लेकिन जोगी को कहाँ चैन था उसे तो किसी और को अपनी धुन पर नाचना था।


एक रोज जोगी बाँसुरी बजाने में मगन था। जाने कितनी देर उसके सुर फिजा में बिखरते रहे। जब आँख खुली तो वो सामने थी। दोनों की नज़रे मिली।आँखों में आँसू थे।दोनों देर तक ख़ामोशी के साथ एक दूसरे को देखते रहे।फिर जोगी मुस्कराता हुआ जाने के लिए उठ खड़ा हुआ। पीछे से उसने पुकारा.." जोगी कल फिर आना मै इंतजार करुँगी "।

जोगी ने पीछे मुड़ कर देखा उन बेताब आँखों को जो अब तक उसके ख़्यालो में थी ।

अब जोगी रोज जंगल जाने लगा।नागिन जोगी की बीन पर मदमस्त हो कर नाचती।उसकी बाँसुरी को मस्त हो कर सुनती।ये एक अनोखा प्रेम था। जोगी और नागिन का..दुनिया को कहाँ समझ में आने वाला था।

एक दिन किसी ने दोनों को देख लिया।जोगी के काबिले में बात फैल गई। सभी संपेरों इच्छाधारी नागिन को काबू में करना चाहते थे। जोगी ने नागिन से मिलना छोड़ दिया। वो नहीं चाहता था उसके जरिये कोई नागिन तक पहुँचे।


नागिन रोज जोगी का इंतजार करती।जब वो नहीं आया तो वो उसके काबिले में मंडराने लगी। कभी कभी भेस बदल कर काबिले की लड़कियो में शामिल हो जाती।उसे बस जोगी को एक नज़र देखना होता।लेकिन ये कब तक चलता ,सपेरों को कैसे न पता चलता ?

एक दिन सपेरों ने नागिन को घेर लिया।उसे बस में करने के चक्कर में नागिन सपेरों के हाथो मारी गई। कहते हैं नागिन के मरते ही जोगी ने भी खुद को मार लिया।काबिले वाले बहुत दुखी थे लेकिन उनके किये का अब कोई प्राश्चित नहीं था।

इस घटना को कई सौ साल बीत गए। कहते हैं उस काबिले की हर पीढ़ी ने नागिन को जोगी को पुकारते सुना हैं।कुछ ने नागिन को देखा भी हैं। लोगो का कहना हैं जब तक नागिन को जोगी नहीं मिल जाता वो यू ही भटकती रहेगी।

उसने कहानी ख़त्म कर दी और चली गई।लेकिन मै जोगी और नागिन के बीच में फंस कर रह गया।मुझे लगा कही मै जोगी तो नहीं..और वो...मेरा दिमाग इन सब बातो को फिजुल मान कर नकार देता और दिल ..उसमें जोगी और नागिन की जुदाई का दर्द भर गया।मै मन बनाने लगा जिस तरह जोगी और नागिन अलग हो गए उस तरह मै उस गहरी नीली आँखों वाली से कभी जुदा नहीं होऊँगा।


मुझे यहाँ रहते दो महीने होने वाले थे। मेरे डैड अब वापिस आने को कहने लगे थे।उन्हें काम अकेले संभालना पड़ रहा था। अब मै ज्यादा नहीं रुक सकता था।लेकिन अपने डैड से उसके बारे में बात कर के जल्दी लौटना चाहता था।

दूसरे दिन मुझे वापिस जाना था। मैने सामान बांध लिया एक दो जरुरी फ़ोन कॉल्स किये।शाम का धुंधलका फैलने लगा था।वो मेरे पास आ कर खड़ी हो गई।उसकी गहरी नीली आँखें आँसुओ से भरी हुई थी।

" मै जल्दी ही लौट आऊँगा " मै भरी मन से इतना ही कह पाया।

" आपको बाँसुरी बजानी आती हैं साहब.." उसके हाथ में एक बाँसुरी थी।मै बीएस देखता रहा।उसने मेरा हाथ पकड़ा और आगे बड़ गई। मै किसी मन्त्र में बंधा उसके पीछे था। जाने कितनी देर हम यूँ ही सुनसान जंगल के रास्ते में आगे बढ़ते रहे।मै बना कुछ बोले सम्मोहित सा उसके पीछे चलता जा रहा था।

वो एक पुराने मंदिर के खंडहर में जा कर रुक गई।चारो तरफ एक अजीब से उदासी थी।पुरे चाँद की रौशनी हम दोनों पर पड़ रही थी।

" कुछ याद आया जोगी?..बजाओ ये बाँसुरी ..मै जन्म मरण के बंधनो से मुक्त होना चाहती हूँ.. बाजाओ जोगी..बजाओ.."  उसने बाँसुरी मेरी तरफ बड़ाई। वो बिलख बिलख कर रो रही थी।मेरा जी चाहा उसे बाहों में बाँध लू हमेशा के लिए।मगर मै अपनी जगह से हिल भी न सका बस मेरी आँखों से भी दर्द बहता रहा।

और मेरे देखते देखते वो एक नागिन में बदल गई।मेरी आँखों के आगे अँधेरा छा गया। आगे क्या हुआ मुझे कुछ नहीं पता।मेरी आँख खुली तो मै हॉस्पिटल में था।बाँसुरी मेरे पास थी।

आज कितने साल हो गए।मै उस बाँसुरी के साथ उन विरानो में भटकता हूँ। काश ,एक बार वो मुझे मिल जाये तो फिर उसे  कभी कही नही जाने दूँगा। काश एक बार...

                                            Not End....






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Jalpari.जलपरी.The Mermaid kids fariy tale.

April 14, 2019
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जलपरी.The Mermaid

एक लड़का था।वो एक लड़की को बहुत प्यार करता था।लेकिन वो लड़की उसकी इतनी परवाह नहीं करती थी।इस बात से लड़का अक्सर उदास हो जाता था।लेकिन फिर भी एक दिन उस लड़के ने हिम्मत कर के अपने दिल की बात उस लड़की को कह ही दी।

लड़की ने कोई जवाब नहीं दिया बस मुस्कराई और भाग गई।लड़की की इस हरकत से लड़के बहुत दुःख पंहुचा।वो उदास रहने लगा।खुद को हारा हुआ महसूस करने लगा।

लड़का इतना निराश हुआ क़ि उसको उस शहर में रहना मुश्किल लगने लगा।उसे बहुत शर्मिदगी महसूस हो रही थी। उसके अलावा कोई नहीं जनता था कि उस पर क्या बीती हैं।उसने मछ्ली तट पर अपने दोस्तों के पास जाना भी बंद कर दिया।

एक दिन भारी मन से उसने अपना मछली पकड़ने वाला जाल उठाया और बोट में बैठ कर एक निर्जन टापू पर आ कर रहने लगा। उसने अपने लिये वहां एक छोटी सी झोपड़ी बना ली। वो रोज समुंद्र में मछली पकड़ता और दूसरे तट के किनारे के बाजार में जा कर बेच आता जहाँ उसको कोई नहीं जनता था। जो पैसे मिलते उस से खाने पीने का थोड़ा बहुत सामान ले आता।बस इसी तरह उसके दिन बीतने लगे।

एक दिन लड़के ने अपने जाल में कुछ चमकदार मछली जैसी चीज चमकती हुई देखी।उसने जाल खींच कर बाहर निकाला ।उसने जाल को चारों तरफ से इस तरह कस दिया की जो चीज़ जाल में फसी हैं वो बाहर ना जा सकें।
तभी उसे आवाज सुनाई दी। " मुझे छोड़ दो...मुझे जाने दो " वो चौक गया। उसके जल में एक जलपरी फंस गई थी।उसके ऊपर का हिस्सा एक लड़की का था। नीचे का हिस्सा मछ्ली जैसा था।पीला, हरा और बेहद चमकीला। जलपरी जाल से निकलने की कोशिश कर रही थी।

लड़के के मुँह से निकल " जलपरी "
" मुझे जाने दो " जलपरी ने फिर कहा।
" अगर मैने तुम्हारे बारे में सही सुना है, तो क्या तुम खुद को फ़्री करने के बदले में मुझे वरदान दोगी।" लड़के ने जलपरी से कहा।

" हां ,मै तुम्हे सोने के सिक्को से भरा बैग दूँगी ..इस समुंद्र तल में एक पुराना शिप डूबा हुआ हैं ।"

" नहीं ,मुझे सोने के सिक्के नहीं चाहिए "

" तो क्या तुम खजाना चाहते हो..मै समुंद्र देवता की बेटी हूँ, हमारे सेवक तुम्हारे पास खजाना भिजवा देंगें "

" नहीं , मुझे खजाना भी नहीं चाहिए । मझे ओ नीली आँखों वाली , घुंघराले बालों वाली लड़की चाहिए । जिसके बिना मेरी जिंदगी मै कुछ नहीं हैं । वही जिसे मै बहुत पसंद करता हूँ।"

" लड़की...ये तो कुछ खास नहीं हुआ " जलपरी ने कहा तो उसने जाल पर अपनी पकड़ कुछ सख्त कर दी।

" ठीक हैं, तुम मुझे आजाद कर दो मै तुम्हे एक मैजिक रिंग दूँगी। जब वो रिंग तुम लड़की को ऑफर करोंगे तो वो शादी से मना नहीं करेगी।लेकिन तुम्हे एक साल एक दिन इंतजार करना होगा।"

" इतने वक़्त में तो उसकी शादी हो जायगी "।

" नहीं होंगी, में वादा करती हूँ। "

लड़के ने जलपरी को छोड़ दिया। जलपरी ने एक रिंग ला कर दे दी। लड़के ने उसे बॉक्स मेँ रख दिया। और एक एक दिन गईं ने लगा ।

एक दिन वो नाव ले कर निकल ही रहा था क़ि उसे महसूस हुआ कुछ आगे के किनारे पर भूरे रंग की सीपियों का ढ़ेर लगा हैं । वो कुछ और आगे बड़ा । उसने पाया कि वो एक नीली आँखो और भूरे घुँघराले बालो वाली लड़की हैं।उसके बाल इतने लम्बे थे क़ि उसके चारों बालो का ढ़ेर सीपियों जैसा मालूम हो रहा था ।

"तुम यहाँ  मेरे आइलैंड पर क्या कर रही हो "?

" ये सिर्फ तुम्हारा आइलैंड नहीं है.. एक तुम ही अकेले नहीं हो जो अकेले इधर उधर भटकते रहते हो ..मेरे पिता ने दूसरी शादी कर ली है.. वो मुझसे कुछ ज्यादा छोटी नहीं है.. वो बहुत ख़राब हैं ..कहीं मेरे साथ कुछ गलत ना कर दे।इस लिए मै यहाँ आ गई।" लड़की ने कहा।

" जो भी हो तुम यहाँ नहीं रह सकती। जा कर अपने पिता से बात करो .." लड़के ने कहा।

"अभी मौसम भी ठीक नहीं हैं । "

" कल ठीक हो जायेगा ।"

" मेरी बोट भी टूट गई हैं।"

" मै बना दूँगा ।"

लड़की झल्ला गई। "तुम समझते क्यों नहीं।मुझे  एक सुरक्षित स्थान चाहिए जहाँ मै सेफ रह सकूँ।" लड़की थोड़ा रुकीं फिर धीरे से बोली।
" तुम्हारे पास ख़ाली कमरा हैं।एक साईड तुम रह लेना दूसरी तरफ मै रह लूँगी।"

" नहीं मै अकेला ही सही हूँ। "

" मै खुद के लिए जो खाना बनाउंगी वो तुम भी खा सकते हो।"

" नहीं मै अकेले ही खाना पसंद करता हूँ ।"
लड़के ने रूखेपन से कहा।

कैसे रात बीती पता ही नहीं चला।सुबह लड़का उठा और मछली पकड़ने चला गया।शाम को वो देर से लौटा। उसने देखा लकड़ी के छोटे टेबल पर प्लेट में गर्म खाना रखा था।थका होने के कारण उसे बड़ा अच्छा लगा। खाना खा कर वो सो गया।

रोज उसे खाना बना हुआ मिलता था। एक रोज उसका कम बहुत अच्छा हुआ। मछली अच्छे दाम मे बिकी और वो जल्दी घर  आ गया।उसने लड़की को अपने कमरे मे देखा । वो टेबल पर खाना लगाने जा रही थी।

" तुम मत जाओ कहीं ,हम दोंनो आज एक साथ खाना खा सकते हैं । "

दोंनो ने एक साथ खाना खाया और कुछ बाते भी करी।

दूसरे दिन शाम को लड़की फिर वहा थी दोंनो ने साथ में खाना  खाया और कुछ और ज्यादा बाते करी। अब इस तरह दोनों रात को साथ में खाना खाते और बाते करते।अब लड़के को पता चला क़ि किस तरह लड़की के पिता उस लड़की के प्यार में अंधे हो गए और अपनी ही बेटी को दुःख पहुचाने लगे।लड़की ने कितनी परेशानियों में घर छोड़ा अब वो समझ चुका था। और लड़के ने अपने अधूरे प्रेम की कहानी सुनाई। जलपरी और 365 दिनों के बाद प्रपोज़ करने की बात भी बताई।

लड़की ने उसके लिये एक चार्ट बना दिया।क्यों की लकड़ी पर लकीरें खींच कर याद रखना बड़ा मुश्किल था। लड़के को ये सब बड़ा अच्छा लगा।लेकिन लड़की कहाँ सोती हैं? कहाँ घूमती हैं? इस बारे में लड़के को अभी भी कुछ पता नहीं था।

एक दिन लड़का जब काम से लौटा तो उसने देखा लड़की घर के आगे फूलों के पोधे लगा रही हैं। नन्हें नन्हे रंगबिरंगे फूलो की खुशबू से हवा महक रही थी।लड़के का मन खुश हो गया।

तब से लड़की ने लड़के के कामों में उसकी मदत करनी भी शुरू कर दी। वो उसकी नाव किनारे लगवा देती।उसके मछली पकड़ने के जाल को साफ कर के फैला देती।लड़के को इस से काफी मदत मिलती।

एक दिन लड़के ने लड़की से कहा। " जब तुम बाजार जाओगे तो खिड़की के शीशे ले आना ,मौसम बदल रहा हैं। "

लड़का काम से लौटते वक़्त खिड़की के शीशे ले आया।लड़की ने बड़ी सफाई और सावधानी के साथ शीशो को खिड़की के दरवाजों में फिट कर दिया।अब कमरे में तेज हवा नहीं आ रही थी। कमरे में निवास थी।सब कुछ जैसे धीरे धीरे ठीक हो रहा था।

एक दिन लड़की ने कहा। " मुझे थोडा सा व्हाइट पेंट ला दो। दीवारे बहुत गन्दी हो रही हैं। " लड़के ने व्हाइट पेंट ला दिया। लड़की ने दीवारो को साफ किया ।टूटी हुई दरारों को भरा और व्हाइट पेंट कर दिया। घर साफ हो कर चमकने लगा।

लड़का पैसो का हिसाब लगाने लगा।भले ही उसके पास पैसे कुछ कम हो रहे थे लेकिन उसकी झोपडी पहले से कहीं जयादा बेहतर और सुविधा जनक हो गई थी।

एक दिन लड़के को ख्याल आया क़ि लड़की सोती कहाँ हैं ? उसको लड़की के लिए कुछ करना चाहिए।उसने तै किया क़ि कुछ दिन वो मछली पकड़ने का काम नहीं करेगा।उसने जंगल में जा कर मजबूत पेड़ की लकड़ियों को काटा और इकठ्ठा कर के झोपडी के किनारे ढ़ेर लगा दिया।

" तुम क्या करने वाले हो " लड़की ने पूछा।

" तुम्हारे लिए कमरा बनाऊगा ..तुम कहाँ भटकती रहती हो ?"

" मै ठीक हूँ मेरी फ़िक्र मत करो " लड़की ने कहा।लेकिन लड़के ने लड़की के लिये एक कमरा बना दिया। इसी तरह दिन गुजरने लगे।लड़के का अब कम में ज्यदा मन लगता था।और घर पहुँचने की उत्सुकता।

साल का आखरी 365 वा दिन था। लड़का दोपहर को ही लौट आया।जैसे ही उसने कमरे मे प्रवेश किया तो देखा । लड़की ने रिंग अपनी अंगुलियों में पहनी हुई हैं। और बड़े शोंक से देख रही हैं।ये देखते ही लड़का आगबबूला हो गया।

लड़की ने झट्ट से रिंग उतार कर बॉक्स में डाल दी और ढ़क्कन टाइट से बंद कर दिया। " बस यूँ ही देख रही थी..कल के लिए सब कुछ ठीक हैं या नहीं। "

लड़की अपने कमरे में चली गई। थोड़ी देर में जब वापिस आई तो उसके हाथ में उसके कपड़ो का थैला था। वो बोलीं  " मै अपने पिता के घर वापिस जा रही हूँ "

" क्या ..तुम्हे याद हैं वो तुम्हारे साथ कैसा व्यव्हार करते हैं। "  लड़के ने कहा।

" कोई बात नहीं ..मै पिता से बात कर लूँगी.. अब मै बड़ी हो गई हूँ.."

" अभी तो एक साल ही हुआ हैं.. "

" एक साल काफी हैं.." लड़की ने कहा।

" मौसम भी सही नहीं हैं.." लड़के ने कहा।

" ठीक हो जायेगा.."

" तुम्हारी बोट भी टूटी हुई हैं.." लड़के ने बेचैनी से कहा।

" कोई बात नहीं..मै किसी दूसरी बोट से चली जाउंगी.. जैसे आई थी वैसे ही जाना होगा.."

लड़की उदास मन से चार्ट के पास गई और उसने साल का आख़री निशान लगा दिया।

" कल तुम अपने सच्चे प्यार को पा लोगे.."

ऐसे कह कर लड़की वाह से चली गई।

लड़का अकेला रह गया।वो बेचैनी से कभी कुर्सी पर बैठता, कभी दीवार से टेक लगा लेता,कभी जमीन में लेटता। सुबह उठ कर वो चार्ट के पास गया।आज वो दिन था जिसका इंतजार उसे एक साल से था।उसने बॉक्स में से रिंग निकली और बोट में बैठ कर शहर की तरफ चल पड़ा।

ताज्जुब की बात थी।ये वो शहर नहीं था।जहाँ से वो आया था।ये उस नीली आँखों वाली,भूरे घुंघराले बालो बाली लड़की का शहर था जो एक साल से उसके साथ रह रही थी।

लड़की अपने पिता के साथ गार्डन में थी। लड़के ने झाँक कर देखा।लड़की के घुंघराले बाल हवा में लहरा रहे थे।लड़की की नज़र लड़के पर पड़ी और उसकी नीली आँखे चमक उठी।

 " तुम यहाँ..?" लड़की ख़ुशी से चहकी।

" हा मै यहाँ.."

" तुम तो आज अपने प्यार को प्रपोज़ काने वाले थे." लड़की ने धीरे से कहा।

" हा कर रहा हूँ.. मेरा सच्चा प्यार कौन हैं.. मै समझ गया हूँ.."

लड़के ने रिंग लड़की की अंगुलियों में पहना दी। दोनों की आँखों से ख़ुशी के आंसू बहने लगे।

" तुम कुछ वक़्त और ले सकते हो.." लड़की ने कहा। दोंनो ने  काफी वक़्त साथ बिताया। साथ में घूमे फिर ,साथ में खाना खाया और खूब सारी बाते करी।दोनों पहले से ज्यादा श्योर हो गए क़ि वो एक दूसरे के लिए ही बने हैं।

लड़के ने नीली आँखों वाली,भूरे घुंघराले बालो वाली लड़की के साथ धूम धाम से शादी कर ली।उनकी ख़ुशी में उनके सारे दोस्त शामिल हुए।
दोंनो ख़ुशी ख़ुशी अपना जीवन गुजरने लगे।नीली आँखों वाली रोज शाम को तैयार हो कर उस सच्चे मन वाले लड़के का इंतजार करती।उनके प्रेम के किस्से पूरे शहर में मशहूर हो गए।

समाप्त💐









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March 21, 2019
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वो लड़की ।।suspense horror short story.

February 07, 2019

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              वो लड़की (The horro tale)


मुझे अच्छी तरह से याद हैं आसमान मे काले बादल छाये हुये थे ,बारिश बस होने ही वाली थी।मै पुराने कच्चे रास्ते से आगे बढ़ती जा रही थी।तभी मुझे किसी ने पुकारा "सबीना" मै तुरंत पीछे घूम गई।
" पहचना मुझे " वो कोई सोलह -सत्रह साल की उजली उजली सी लड़की थी।मुझे हँसी आ गई मेरी ऊम्र कोई चलीस पार की है।वो मेरा नाम ले कर पुकार रही थी।मगर उसे मेरा नाम कैसे पता चला ? ये सवाल दिमाग मे आते ही मै कुछ उलझ कर उसे देखने लगी।
" यहाँ से तो रात को कोई नही निकलता ,वो सुनिये आवाज..बाँध से पानी छूटने वाला हैं " उसने ऐसे कहा जैसे मै उसकी हमउम्र हूँ और वो मुझे बरसो से जानती हो।उसने मेरा हाथ पकड़ा और एक दूसरे रास्ते की तरफ बढ़ने लगी।मैने हाथ छुड़ाना चाहा।

वो मेरा हाथ पकड़ कर लघ-भग भागने लगी।मुझे गुस्सा आ गया।मैने हाथ झटक कर छुड़ाना चाहा मगर नाकाम रही।बारिश की मोटी मोटी बूंदे हम दोनोँ पर गिरने लगी।और फिर तेज़ गड़गड़ाहट के साथ बारिश तेज़ हो गई।
उसकी हथेली मेरी कलाई पर मजबूती से जमी हुई थी।मेरे पैरो मे भी जैसे पहिये लग गए थे।मै भाग नहीं थी वो मुझे घसीट रही थी।और मै उबड़ खबड सड़क पर भी जैसे स्केट करती हुई तेज़ी से उड़ती जा रही थी।
बिजली जोर से कड़की ,मै किसी चीज़ से टकराई और धड़ाम से गिर पड़ी।तभी एक भयानक आवाज हुई।मेरा दिल बस सीने से निकल कर बाहर ही आना चाहता था।मैने पीछे मुड़ कर देखा।माह प्रलय का नजारा था।जिस सड़क पर मै जा रही थी उस पर बीसीयों फ़ुट ऊची पानी की लहरे उछाल मार रही थी।सड़क का कही नामो निशान नहीं था। मैने खुद को एक बहुत ऊँचे मचान पर पाया।

वो लड़की आस-पास कहीं भी नहीं थी। आज इस घटना को बीस बरस गुजर गए हैं।मुझे आज भी उसकी आवाज कभी कभी कानो के पास गूँजती हुई मालूम देती है। "सबीना ".....●


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